मुंबई मे 13 बच्चों के अपहरण और 9 की हत्या की आरोपी बहनों की फांसी उम्रकैद में बदली

 Mumbai - दो दशक पुराने अपहरण और हत्या के मामले की दोषी रेणुका शिंदे और सीमा गावित की फांसी की सजा को बॉम्बे हाइकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया है। करीब 8 साल से दोनों बहनों की दया याचिका पर कोई सुनवाई नहीं हुई थी जिसे आधार मानते हुए कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। क्या था मामला मामले में रेणुका शिंदे और सीमा गावित को 1990 से 1996 के बीच कोल्हापुर जिले और उसके आसपास के इलाके में 13 बच्चों का अपहरण करने और उनमें से 9 की हत्या करने के लिए दोषी ठहराया गया था। कथित तौर पर बच्चों के अपहरण और हत्या में दोनों की मां अंजनाबाई भी शामिल थी। हालांकि, मुकदमा शुरू होने से पहले ही साल 1997 में मां की मौत हो गई थी। बच्चों की मां भी हत्याओं में थी शामिल कथित तौर पर वर्षों से दोनों बहनें अपनी मां के साथ मिलकर मासूम बच्चों की किडनैपिंग कर उनसे अपराध करवाती थीं और मकसद पूरा हो जाने पर उनकी बेरहमी से हत्या कर देती थीं। पकड़े जाने तक तीनों महिलाएं 13 बच्चों की किडनैपिंग और 9 बच्चों की हत्या को अंजाम दे चुकी थी। मां अंजनीबाई गावित की पकड़े जाने के एक साल बाद ही मौत हो गई थी, जबकि दोनों बहनों को साल 2001 में कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। क्यों हुई सुनवाई में देरी राष्ट्रपति के पास से दया याचिका खारिज होने के करीब 8 साल बाद दोनों बहनों ने एक बार फिर हाई कोर्ट में गुहार लगाई। दोनों बहनों ने आठ साल के समय को अनुचित बताया और दलील दी कि इस दौरान उनको अत्यधिक मानसिक यातना झेलनी पड़ी। इसी पर हाई कोर्ट ने मंगलवार को अपने आदेश में कहा ‘तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद दया याचिकाओं को मंजूरी दे दी जाए। इतनी देरी के लिए हम पूरी तरह से अधिकारी, सरकारें, खासकर

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