जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुँचे
लखनऊ : जलवायु परिवर्तन सम्मेलन का उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ और विधि एवं न्याय मंत्री श्री बृजेश पाठक जी वा कई अन्य सम्मानित सदस्य पहुंचे जहाँ पर दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया गया!
इसी कड़ी में विधि एवं न्याय मंत्री श्री बृजेश पाठक जी ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया गया। और कहा कि राज्य के सभी शहरों से स्ट्रीट लाइट को एलईडी में बदल दिया गया। वहीं सोलर ऊर्जा को भी बढ़ावा दिया गया। इसके चलते राज्य के कार्बन उत्सर्जन में कमी आई।
वहीं पर्यावरण के संतुलन के लिये आमजन को भी प्रयास करना होगा। प्रकृति के संरक्षण में कोई भी प्रयास करता है, तो बदले में वह हमें कई गुना लाभ मिलता है। सनातनधर्म में तो शांति पाठ में यजमान को प्राकृति के संरक्षण का संकल्प ही दिलाया जाता है। ऐसे में पर्यावरण संरक्षण हम सबके मूल में है। दूषित पर्यावरण बीमारी को बढ़ावा दे रहा है। ऐसे में एनजीटी के आदेशों को राज्य में कड़ाई से लागू किया गया। गांवों को मैला मुक्त करने के लिए शौचालयों का निर्माण जोरों पर है। इसके अलावा हर गांव में आबादी से दूर खाद के लिए गड्ढा बनाये जा रहे हैं। वर्ष 2017 तक यूपी के कई जिले डार्क जोन में चले गए। ऐसे में पॉलिथीन पर पाबंदी, तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कर भूजल रिचार्ज को बढ़ावा दिया गया। बड़ी संख्या में पौधरोपण किया गया। गरीबों को मिलने वाले आवासों में सहजन का पेड़ और 100 साल की उम्र वाले पेड़ों को संरक्षण किया जा रहा है। इसके अलावा नमामि गंगे योजना से गंगा प्रदूषण मुक्त हुई। अब कानपुर आदि में गंगा स्नान करने से त्वचा पर चकत्ते नहीं पड़ते हैं। वहीं वाराणसी में गंगा में डॉल्फिन दिखने लगीं। गंगा के तटवर्ती इलाके में पौधे व ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को सरकार प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। साढ़े सोलह लाख स्ट्रीट लाइट एलईडी में तब्दील की गईं। इससे बिजली की बचत हुई। चार करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए। इससे कार्बन उत्सर्जन में काफी कमी आयी। उज्ज्वला योजना भी पर्यावरण की दिशा में बड़ा कदम है। स्वच्छ भारत मिशन और जल जीवन मिशन से इंसेफलाइटिस जैसी बीमारी पर नियंत्रित पाया गया।
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