यूपी: तीन माह में पूरी करनी होगी हजारों बीघा भूमि फर्जीवाड़ा की जांच

  


   इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चकबंदी आयुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी को नजीबाबाद रिजर्व फॉरेस्ट की करोड़ों रुपये की 24,050 बीमा जमीन पर हुए अवैध कब्जे की जांच तीन माह में पूरा करने के आदेश दिए हैं। यह फर्जीवाड़ा चकबंदी और राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से हुआ था।

नगीना तहसील के करीब एक दर्जन गांवों में जंगलात, झाड़ी की हजारों बीघा भूमि के घोटाले पर कोई कार्रवाई न होने पर नगीना एसडीएम के स्टेनों के पद पर तैनात किशन चंद्र ने हाईकोर्ट में पीआईएल दायर की है। इस मामले पर 24 अगस्त को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जांच समिति को तीन माह का समय दिया। किशन चंद्र ने बताया कि तीन माह में जांच समिति शासन को रिपोर्ट भेजनी है। बता दें की उक्त मामले को करीब डेढ़ साल पहले समाचार पत्रों ने उजागर किया था। इस पर संज्ञान लेते हुए शासन एवं जिला प्रशासन दोनों स्तर पर दो जांच समिति गठित की गई थी। शासन स्तर से चकबंदी आयुक्त की अध्यक्षता में चार सदस्यीय टीम, जिसमें डीएम प्रतिनिधि के रूप में एडीएम वित्त एवं राजस्व, उपसंचालक चकबंदी लखनऊ व बिजनौर के डीएफओ को शामिल किया गया था। इसके अलावा एक पांच सदस्यीय समिति जिलाधिकारी स्तर से पहले गठित कर दी गई थी। उक्त समिति की अब तक की जांच में नौ गांवों में 24 हजार बीघा से अधिक बीघा (जंगलात, नदी, वन विभाग झाड़ी आदि) राष्ट्रीय संपत्ति की पुष्टि हो चुकी है। इसमें अधिकांश जमीन पर भूमाफिया काबिज है। इस भूमि में मकानात से लेकर होटल एवं बड़े-बड़े फार्म हाउस बना लिए हैं। याचिकाकर्ता ने बताया कि हाईकोर्ट ने जांच समिति को तीन माह में मामला निस्तारित करने के आदेश दिए हैं।

*अब की जांच में इन गांवों में मिला फर्जीवाड़ा*

अब तक हुई जांच में नौ गाव तेलीपाड़ा 4002 बीघा(कच्चा), कादरगंज2088 बीघा ,शंकरपवुर 1770 बीघा, हल्लोवाली 2691 बीघा, राजपुर कोट,2493 बीघा ,मंदपुरी 3270 बीघा , सुलेमान शिकोहपुर 2064 बीघा, चंपतपुर चकला, 3159 बीघा भूमि ऐसी निकली जो राष्ट्रीय संपत्ति होते हुए उस पर भूमाफिया काबिज हो गए।,

उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की धारा 132 के तहत किसी भी सार्वजनिक प्रयोजन की भूमि अथवा विशेष प्रयोजन के लिए आरक्षित भूमि को न किसी को बेचा जा सकता है और न ही उसे ट्रांसफर करने का किसी को अधिकार है। राजस्व रिकार्ड में उक्त भूमि पर विभिन्न व्यक्तियों के नाम संक्रमणीय भूमि के रूप में दर्ज कर दिए गए। इस पूरे प्रकरण की प्रारंभिक जांच के लिए एडीएम वित्त एवं राजस्व की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई। बाद में शासन ने चकबंदी आयुक्त की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित कर दी। इस कमेटी में जिला स्तरीय अधिकारियों को भी शामिल किया गया। कोई कार्रवाई ना होने पर शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी। शिकायतकर्ता किशनचंद ने बताया कि प्रदेश के मुख्य सचिव की ओर से 22 जुलाई को जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया, जिसमें प्रशासनिक जांच के आधार पर इन सभी गांवों में जंगलात की 24050 बीघा भूमि पर अवैध कब्जे की बात स्वीकार की गई।

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