नीतीश कुमार केंद्रीय योजनाओं के दम पर बने 'सुशासन बाबू'?: नज़रिया


अगर किसी सरकार को सालों से उस बात की तारीफ़ या श्रेय मिल रहा हो जो उसने किया ही न हो तो यह सुनिश्चित है कि जब वास्तविक चुनौती भरी स्थिति आती है तो प्रशासनिक मशीनरी पूरी तरह से ध्वस्त हो जाती है.


शायद बिहार में जो मौजूदा हालात हैं उससे बेहतर इस बात का कोई दूसरा उदाहरण हो ही नहीं सकता, जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगभग 14 सालों से सत्ता संभाले हुए हैं, सिर्फ़ नौ महीने के एक संक्षिप्त समयावधि को छोड़कर.


उत्तरी बिहार में बीमारी के चलते सैकड़ों लोग मारे गए हैं, जिनमें ज़्यादातर बच्चे हैं और यह कि दक्षिण बिहार में गर्म हवाएं मौत की हवाएं बनकर बह रही हैं.


लेकिन जिस तरह इस पूरे मुद्दे पर राज्य प्रशासन का ढुलमुल रवैया नज़र आया उससे आम आदमी ही नहीं, एनडीए नेता भी खासे ख़फ़ा दिखे. बीजेपी के एमएलसी सच्चिदानंद राय ने अपनी ख़ुद की पार्टी, जदयू नेताओं और सरकारी तंत्र की नाकामी की आलोचना करने में कोई कमी नहीं रखी.


मीडिया कई बार बिहार में विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम के लिए नीतीश कुमार को सुशासन बाबू कहता रहा है.


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