क्या बॉलीवुड बन रहा है सियासत का नया अखाड़ा ?

क्या बॉलीवुड बन रहा है सियासत का नया अखाड़ा ?



बीते 5 सालों में आपने भारतीय राजनीति में बड़ा बदलाव होता देखा होगा. अभिनेता और नेता के बीच जो रिश्ता है वो आज से नहीं कई सालों पुराना है.


बस फर्क है तो इतना कि पहले अभिनेता अभिनय कर नाम कमाने के बाद राजनीति से जुड़ते थे और अब अभिनेता नेताओं की बायोपिक फ़िल्मों के ज़रिये बड़े पर्दे पर राजनीति करते दिख रहे हैं.


2018 में कई ऐसी फिल्में आईं जो किसी बड़े राजनेता कि बायोपिक का हिस्सा रहीं.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि चमकाने वाली एक के बाद एक कई फ़िल्में रिलीज़ हुईं. फिर वो 2018 में आई 'उरी :द सर्जिकल स्ट्राइक' हो या फिर हाल ही में रिलीज़ हुई राकेश ओम प्रकाश मेहरा कि फ़िल्म 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर'.


इस तरह चुनावी माहौल में फ़िल्म को पहले रिलीज़ करने के कई मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि फ़िल्म के निर्माताओं ने कहा है कि यह उन्होंने पब्लिक डिमांड पर किया है.


निर्माता संदीप सिंह फ़िल्म के निर्माता और क्रिएटिव डायरेक्टर हैं और उन्होंने इसकी कहानी भी लिखी है.


उन्होंने हाल ही में फ़िल्म के ट्रेलर लांच के दिन कहा था कि, "हम इस फ़िल्म की सार्वजनिक मांग को देखते हुए एक सप्ताह पहले रिलीज़ कर रहे हैं. लोगों के बीच इसे लेकर बहुत प्यार और आशा है और हम नहीं चाहते कि वे लंबे समय तक इंतजार करें."


'पीएम नरेंद्र मोदी' में शुरुआत से लेकर भारत के प्रधानमंत्री बनने तक के नरेंद्र मोदी के सफ़र को दिखाया गया है.


क्या ये फ़िल्म प्रोपोगैंडा फ़िल्म है? इस सवाल पर फ़िल्म के निर्माता संदीप सिंह कहते हैं, "हम फ़िल्म के मेकर हैं और आप ट्रेलर देख चुके हैं और जब फ़िल्म देखेंगे तब आप सब ही तय करिएगा कि ये प्रोपोगैंडा फ़िल्म है या नहीं."


उन्होंने कहा, "हम अपना काम कर रहे हैं. हमको नहीं जानना कौन क्या बोल रहा है. किसको क्या शिकायत है. ये एक सच्ची कहानी है जो हम दर्शकों तक पंहुचा रहे हैं. हम अपना काम कर रहे हैं और इसका विरोध कर दूसरी पार्टी के लीडर अपना काम कर रहे हैं."


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